हमारे शाश्त्रों में पुरूष वर्ग के लिए १६ माताओं का उल्लेख मिलता है, जो कि इस प्रकार से है:
गुरुपत्नी राजपत्नी देवपत्नी तथा वधू:।
पित्रो: स्वसा शिष्यपत्नी भृत्यपत्नी च मातुली।।
पितृपत्नी भ्रातृपत्नी श्वभ्रूश्च भगिनी सुता।
गर्भधात्रीष्टदेवी च पुंस: षोडश मातर:।।
गुरुपत्नी, राजपत्नी, देवपत्नी, पुत्रवधू, माता की बहन (यानी मौसी), पिता की बहन (यानी बुआ) शिष्यपत्नी, मामी, पिता की पत्नी (माता और विमाता) भाई की पत्नी, सास, बहिन, बेटी, गर्भ में धारण करनेवाली (जन्मदात्री) तथा इष्टदेवी -पुरुष की ये सोलह माताएं होती हैं।
संकलित
ब्रह्मावैवर्त्तपुराण (श्रीकृष्णजन्मखंड, ५९।५४-५६)
Sunday, February 8, 2009
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